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भोजशाला में दूसरे दिन 10 घंटे चला ASI का सर्वे:स्तंभों पर बने चित्रों पर की कार्बन कोडिंग; दोनों पक्षकार भी रहे मौजूद

ASI की टीम ने दूसरे दिन 10 घंटे तक सर्वे किया। इस दौरान हिंदू और मुस्लिम पक्षकार भी भोजशाला में मौजूद रहे।

धार की भोजशाला में ASI (Archaeological Survey of India) का वैज्ञानिक सर्वे शनिवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। दिल्ली और भोपाल से आई ASI की टीम ने आज 10 घंटे तक सर्वे कार्य किया।

शनिवार सुबह ASI के वकील हिमांशु जोशी, हिंदू पक्ष की ओर से आशीष गोयल और गोपाल शर्मा सर्वे टीम के साथ भोजशाला पहुंचे थे। कमाल मौलाना वेलफेयर सोसाइटी के समद खान भी आए थे। परिसर के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया। यहां पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। इस क्षेत्र की निगरानी 60 कैमरों की मदद से की जा रही है।

सर्वे टीम ने भोजशाला के पिछले हिस्से में मजदूरों से फावड़े की मदद से सफाई करवाई। पिछले हिस्से में चिह्नित 3 स्थानों को कवर किया गया है। दीवार से सटी मिट्‌टी को करीब 6 इंच तक हटाकर फिजिकल जांच की गई।

बता दें कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के आदेश पर ज्ञानवापी की तरह भोजशाला में सर्वे किया जा रहा है।

भोजशाला में 3 स्थानों पर कार्बन कोडिंग कर रहे
चिह्नित 3 स्थानों में से एक में स्तंभों पर बने चित्रों पर कार्बन कोडिंग की गई। परिसर के भीतर स्तंभों की गिनती और शिलालेख, जिस पर सनातनी लिपि में देव नाम दर्ज होने का दावा किया जा रहा है, उनका भी टीम ने बारीकी से निरीक्षण किया। टीम दोपहर में लंच के लिए बाहर नहीं गई। भीतर ही उन्होंने खाना मंगवाया। हालांकि, हिंदू पक्ष के दोनों सदस्य बाहर आ गए थे। शाम को टीम बाहर निकली।

ASI की सर्वे टीम के साथ पुलिस भी भोजशाला परिसर पहुंची थी। बाहर पुलिस बल तैनात रहा।

शहर में भारी पुलिस बल तैनात
सुरक्षा के लिहाज से सर्वे स्थल पर एएसपी, सीएसपी, तीन डीएसपी, आठ थाना प्रभारी सहित 175 का पुलिस बल तैनात किया गया है। शहर के हाई राइज भवनों पर भी पुलिस तैनात की गई है। शहर में 25 चौराहों पर पुलिस का फिक्स पॉइंट बनाया गया है। चार पुलिस मोबाइल भी लगातार भ्रमण कर रही है।

इससे पहले, शुक्रवार को टीम ने सर्वे किया था। इस दौरान उन स्थानों को चिह्नित किया था, जहां सर्वे का काम किया जाना है। टीम शुक्रवार दोपहर में नमाज से पहले परिसर से बाहर आ गई थी। करीब 6 घंटे ही कामकाज हो सका। इधर, मुस्लिम पक्ष की सर्वे पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर अर्जेंट हियरिंग वाली मांग सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी।

मजदूरों को जांच के बाद भोजशाला परिसर में प्रवेश दिया गया था।

याचिकाकर्ता बोले- नए इशू पैदा किए जाने पर आपत्ति है
मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद ने कहा कि रात को 1 बजे नोटिस देंगे तो सुबह 6 बजे आप भी नहीं जाओगे। अगर बीमार हालत में होंगे तो कैसे जाएंगे। समाज का कार्यकर्ता हूं तो हाजिर होना जरूरी है। उच्च न्यायालय का हम सम्मान करते हैं। मैं हाजिर होने के लिए जा रहा हूं। न्यायालय ने जो आदेश दिए हैं, उसका पालन करना है। अगर सर्वे हो तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जो नए इशू पैदा किए जा रहे हैं, 2004 में लाकर जो स्तंभ रखे गए हैं, हमने उसकी आपत्ति भी ली है और आवेदन भी दिया है। तमाम जनप्रतिनिधियों ने इसका विरोध किया और आज इसको सर्वे में शामिल भी किया जा रहा है। यह एक प्रश्न चिन्ह है। एक मूर्ति भी रखी गई, यह सबके संज्ञान में है। हम नए सर्वे का विरोध कर रहे हैं।

कमाल मौलाना वेलफेयर सोसाइटी की ओर से याचिकाकर्ता और मुस्लिम समाज धार के सदर अब्दुल समद खान भोजशाला पहुंचकर सर्वे दल में शामिल हुए।

शहर काजी बोले- सर्वे की सूचना नहीं दी गई
शुक्रवार को धार के शहर काजी वकार सादिक व जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के जुल्फिकार अहमद ने कहा कि वे हाईकोर्ट के निर्णय का सम्मान करेंगे, लेकिन सर्वे की सूचना नहीं दी गई। शहर काजी भोजशाला के सर्वे के दौरान शामिल नहीं हुए। उन्होंने दैनिक भास्कर से कहा कि इस संबंध में अभी कुछ नहीं कहना चाहता। मेरी तबीयत ठीक नहीं है।

सर्वे कराने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद से ही नमाजियों की संख्या बढ़ी है। शुक्रवार को करीब 2420 लोग नमाज पढ़ने आए। पिछले शुक्रवार को ये संख्या 2250 थी। जबकि इसके पहले के दो शुक्रवार को 1490 और 1380 लोग नमाज पढ़ने आए थे।

शुक्रवार को मुस्लिम समाज भोजशाला में नमाज पढ़ने पहुंचा। इस दौरान सर्वे टीम बाहर आ गई थी।

शहर काजी बोले-अब पूरा समाज मिलकर लड़ेगा लड़ाई
एक दिन पहले शहर काजी ने कहा- हम समाज की एक मीटिंग बुलाकर समाज की ओर से ही कोर्ट जाने का सोच रहे हैं। हम कमल मौलाना वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष को भी बुलाएंगे और बैठकर बात करेंगे। पूरा समाज मिलकर अब लड़ेगा। हमारे पास डॉक्यूमेंट हैं कि यह मस्जिद है। यहां पर पांच टाइम की नमाज होनी चाहिए। अब हम 5 टाइम की नमाज पढ़ेंगे।

13 से 14 लोग जो स्वयंभू बने हुए हैं, वही सब प्रॉब्लम खड़ी करते हैं। 1902 का सर्वे मौजूद है। यह एक मृत चीज है यह पौधे नहीं हैं, जो बढ़ते रहे। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वे में यदि कोई नई चीज आती है तो उसको वेरीफाई करें कि यहां पर 1902 में मौजूद नहीं थी, अब कैसे आई।

धार शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं। पुलिस ने सर्वे के दौरान हाजिर रहने के लिए मुस्लिम पक्ष के यहां नोटिस चस्पा किया है।

सुप्रीम कोर्ट में 1 अप्रैल को ही होगी सुनवाई
भोजशाला सर्वे मामले में मुस्लिम पक्ष ने 16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर कोर्ट ने 1 अप्रैल को सुनवाई के लिए तारीख दी थी। हालांकि, शुक्रवार से सर्वे शुरू होने के कारण मुस्लिम पक्ष अर्जेंट हियरिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। इस पर तत्काल सुनवाई की मांग की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। अब सुनवाई 1 अप्रैल को ही होगी।

भोजशाला परिसर सर्वे में याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने बताया कि सर्वे काम पूरा करने के लिए हाईकोर्ट ने छह सप्ताह का समय दिया है। जांच में कार्बन डेटिंग, जीपीआर और जीपीएस तकनीक का उपयोग होगा। जैसा कि काशी विश्वनाथ मंदिर और रामजन्मभूमि के अंदर सर्वे में हुआ है।

गुरुवार को पहुंची थी 15 सदस्यीय टीम
इससे पहले गुरुवार रात दिल्ली और भोपाल से ASI (Archaeological survey of india) के 15 सदस्य धार पहुंचे। टीम में दिल्ली से अधीक्षण पुरातत्वविद और क्षेत्रीय निदेशक शामिल हैं। टीम ने यहां सर्किट हाउस में कलेक्टर और एसपी से सर्वे के संबंध में बात की। एएसआई भोजशाला के पिछले हिस्से को कवर करने के उद्देश्य से पांच फीट ऊंची दीवार का निर्माण भी करवा रहा है।

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने पत्र जारी कर स्थानीय प्रशासन को सर्वे शुरू किए जाने की सूचना दी।

केस में अब तक क्या-क्या हुआ

  • हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के प्रदेश उपाध्यक्ष और याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने बताया कि हाई कोर्ट इंदौर में दो मई 2022 को भोजशाला के पूर्ण आधिपत्य के लिए याचिका दायर की थी।
  • याचिका को काेर्ट ने 11 मई 2022 को स्वीकार किया। सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए गए।
  • 5 फरवरी 2024 को हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से कोर्ट में आवेदन दिया गया कि भोजशाला के संपूर्ण परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए एएसआई को निर्देशित किया जाए।
  • 19 फरवरी 2024 को सुनवाई में बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा लिया।
  • 11 मार्च 2024 को कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को भोजशाला परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के आदेश दिए।
  • भोजशाला परिसर के 50 मीटर क्षेत्र में खनन, कार्बन डेटिंग, जीपीएस, जीपीआर तकनीक का प्रयोग कर कलर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करवाई जाए।
  • 6 सप्ताह में विभाग की पांच सदस्य टीम दोनों पक्षों की मौजूदगी में सर्वेक्षण पूरा कर रिपोर्ट पेश करे।
  • 20 मार्च 2024 को भारत सरकार संस्कृति विभाग के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अपर महा निदेशक प्रोफेसर आलोक त्रिपाठी ने शासन और प्रशासन को 22 मार्च से भोजशाला का सर्वेक्षण शुरू होने की जानकारी दी।
  • प्रकरण में अगली सुनवाई 29 अप्रैल 2024 को है।
गुरुवार कलेक्टर प्रियंक मिश्रा, एसपी मनोज कुमार सिंह टीम के साथ भोजशाला पहुंचे थे।

भोजशाला का इतिहास व इसे लेकर अब तक क्या-क्या संघर्ष हुआ

  • प्रथम आक्रमण के समय भोजशाला के 1400 प्रकांड विद्वानों ने संघर्ष कर अपनी आहुति दी।
  • सन 1305 में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय तत्कालीन राजा महलक देव और गोगा देव ने युद्ध करते हुए वीरगति प्राप्त की।
  • मेहमूद खिलजी के आक्रमण के समय राजपूत सरदार मेदिनी राय ने वनवासियों की सेना बनाकर विद्रोह किया।
  • अंग्रेजों के शासनकाल में सन 1875 में मेजर किनकैड ने भोजशाला में खुदाई करवाई। कहा जाता है कि वे मुगल आक्रमणकारियों द्वारा खंडित कर जमीन में गाड़ दी गई वाग्देवी की प्रतिमा को लंदन लेकर गए, जो आज भी ब्रिटिश म्यूजियम ग्रेट रसल स्ट्रीट लंदन में रखी है।
  • सन 1936 में मुसलमानों ने तत्कालीन दीवान नाडकर से नमाज के लिए भोजशाला में जगह मांगी, लेकिन हिंदू समाज के आक्रामक प्रतिकार के कारण इस मंदिर में नमाज नहीं हो सकी।
  • सन 1937 से लेकर 1942 तक नमाज ना पढ़ने देने को लेकर हिंदू समाज ने संघर्ष किया।
  • सन 1942 में धार स्टेट के तत्कालीन राजा ने मुस्लिम समाज को नमाज पढ़ने के लिए बख्तावर मार्ग पर मस्जिद के लिए स्थान दिया, जहां आज भी रहमत मस्जिद है।
  • राजा के द्वारा दी गई रहमत के कारण ही इसे रहमत मस्जिद का नाम दिया गया।
  • सन 1952 में धार के हिंदू समाज ने महाराज भोज वसंतोत्सव समिति के नेतृत्व में प्रत्येक वसंत पंचमी पर धार्मिक एवं सांस्कृति कार्यक्रमों का आयोजन कर जनजागरण प्रारंभ किया।
  • हिंदूवादी संगठन द्वारा ब्रिटिश म्यूजियम लंदन में कैद मां वाग्देवी की प्रतिमा को लाने का प्रयास शुरू हुआ। सरकार को ज्ञापन देकर इसे लेकर प्रयत्न होने लगे।
  • सन 1961 में इतिहासकार पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर लंदन गए और प्रतिमा को धार की मां वाग्देवी होने को लेकर प्रमाणित किया।
  • वर्ष 1977 के बाद मंदिर परिसर में नमाज प्रारंभ हुई। इस दौरान पूर्व के एक आदेश का उल्लेख कर कुछ लोगों ने षड्यंत्र किया।

भोजशाला: 1995 से शुरू हुई थी प्रशासनिक लड़ाई

1995: भोजशाला में दो पक्षों की बीच मामूली विवाद हुआ। इसके बाद प्रशासन में मंगलवार को पूजा और शुक्रवार को नमाज पढ़ने की अनुमति दी।

1997: 12 मई को तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के आदेश पर भोजशाला में आम लोगों की एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया। मंगलवार की पूजा पर रोक लगा दी गई। हिंदुओं को बसंत पंचमी और मुस्लिमों को शुक्रवार के दिन 1 बजे से 3 बजे के बीच नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई। ये प्रतिबंध 31 जुलाई 1997 को हटा दिया गया।

1998: 6 फरवरी को केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने आगामी आदेश तक आम लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया।

2003: मंगलवार को फिर पूजा की अनुमति दी गई। बगैर फूल-माला के पूजा करने के लिए कहा गया। पर्यटकों के लिए भी भोजशाला को खोला गया। 18 फरवरी को भोजशाला परिसर में सांप्रदायिक तनाव के बाद हिंसा फैली।

2013: वसंत पंचमी और शुक्रवार एक दिन आने पर धार में माहौल बिगड़ गया था। हिंदुओं के जगह छोड़ने से इनकार करने पर पुलिस को हवाई फायरिंग और लाठीचार्ज करना पड़ा था। इसके बाद साल 2016 में भी शुक्रवार के दिन वसंत पंचमी पड़ने से यहां तनाव का माहौल बन गया था। तब से लेकर अब तक भोजशाला में कई बार अघोषित कर्फ्यू लग चुका है।

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