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PoK में लगाए जा रहे टेलीकम्युनिकेशन टावर:ये घुसपैठ में आतंकियों की मदद करते हैं; इनसे सिग्नल जम्मू की जेलों तक पहुंचते हैं

LoC के पास पाक अधिकृत कश्मीर यानी PoK में हाल के दिनों में मोबाइल टावरों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। जम्मू रेंज के अधिकारियों का कहना है कि इन टावरों के चलते भारतीय सीमा के अंदर आतंकियों को घुसपैठ करने में मदद मिलती है।

अधिकारियों ने पीर पंजाल के में घुसपैठ की कोशिशों और हाल के आतंकी हमलों के पैटर्न की स्टडी के बाद कहा कि आतंकी संगठन ज्यादातर एन्क्रिप्टेड YSMS सर्विस का इस्तेमाल कर रहे हैं।

एन्क्रिप्टेड YSMS सर्विस एक ऐसी टेक्नीक है जो सीक्रेट कम्युनिकेशन के लिए स्मार्टफोन और रेडियो सेट को मर्ज करती है। जिससे PoK में बैठे आतंकी हैंडलर घुसपैठ करने वाले आतंकियों से कनेक्ट रहते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, टेलीकॉम सिग्नल से जुड़ा यह प्रोजेक्ट पाकिस्तानी सेना अधिकारी मेजर जनरल उमर अहमद शाह संभाल रहे हैं। वह पहले पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी ISI के लिए काम करते थे।

आतंकियों और उनके सहयोगियों की मदद करता था
इंटरनेशनल बॉर्डर और LoC के पास जानबूझकर इस तरह के टेलिकॉम टॉवर लगाना गैरकानूनी है। यह इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU) के संविधान के अनुच्छेद 45 का उल्लंघन है। ITU एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है जो इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन की कनेक्टिविटी के लिए जिम्मेदार है। फिलहाल इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने के लिए मिनिस्ट्री लेवल पर चर्चा की जा रही है।

गिलगित और बाल्टिस्तान सहित POK में इस तरह के टॉवर काफी संख्या में लगे हैं।

टेलीकॉम टावर CDMA टेक्नीक पर काम कर रहे हैं
अधिकारियों ने बताया कि, नए मोबाइल टावर कोड-डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (CDMA) टेक्नीक का उपयोग कर रहे हैं। इसे चीनी कंपनी ने बनाया है। LOC पर CDMA टेक्नोलॉजी की तैनाती सेना की मॉनिटरिंग को और कठिन बनाने के लिए की गई है।

इस तकनीक के चलते एक ही चैनल पर कई तरह के मैसेज डिलीवर होते हैं। इससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि कौन सा मैसेज रियल और कौन सा फेक। हालांकि 2019 और 2020 में इस तरह की टेक्नोलॉजी को सुरक्षा एजेंसियों ने तोड़ दिया था।

कश्मीर घाटी में सिग्नल कमजोर, जम्मू तक पहुंच
गिलगित और बाल्टिस्तान सहित POK में इस तरह के टावर काफी संख्या में लगे हैं। हालांकि बीहड़ इलाके के कारण कश्मीर घाटी में इन टावर्स का कुछ खास काम नहीं रह जाता। लेकिन जम्मू के मैदानी इलाकों तक सिग्नल की पहुंच है। कुछ तो कोट बलवाल जेल जैसे संवेदनशील इलाकों तक भी पहुँच जाते हैं।

यह कई सुरक्षा एजेंसियों ने इसको लेकर अलर्ट भी जारी किया है। जिसमें बताया गया कि, कश्मीर में बारामूला और कुपवाड़ा से लेकर जम्मू में कठुआ, राजौरी और पुंछ जिले प्रभावित हो रहे हैं।

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